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Kuwait Fire: तीन गुना सैलरी, टैक्स फ्री इनकम...भारतीयों के पसीने से रौशन होता है कुवैत, जानिए कितनी मिलती है वहां सैलरी

Kuwait Fire News: कुवैत के मंगाफ में बना लेबर कैंप उन भारतीय मजदूरों के लिए काल बन गया, जो नौकरी और अच्छी सैलरी की तलाश में अपना देश छोड़कर वहां गए थे.  बुधवार तड़के सुबह इस इमारत में ऐसी भीषण आग लगी कि 49 भारतीय मौत के मुंह में समा गए.  जिस  इमारत में आग लगी, वो एक मलयालयी बिजनेसमैन केजी

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Bavita Jha |Updated: Jun 12, 2024, 09:09 PM IST

Kuwait Fire: कुवैत के मंगाफ में बना लेबर कैंप उन भारतीय मजदूरों के लिए काल बन गया, जो नौकरी और अच्छी सैलरी की तलाश में अपना देश छोड़कर वहां गए थे.  बुधवार तड़के सुबह इस इमारत में ऐसी भीषण आग लगी कि 49 भारतीय मौत के मुंह में समा गए.  जिस  इमारत में आग लगी, वो एक मलयालयी बिजनेसमैन केजी अब्राहम के NBTC ग्रुप की है. कंपनी में काम करने वाले मजदूरों को यहां रखा जाता था. मरने वाले लोगों में ज्यादातर भारतीय मजदूर हैं, जो वहां काम की तलाश में पहुंचे थे. हर सालों हजारों-लाखों की तादात में भारतीय मजदूर काम और अच्छी सैलरी की तलाश में खाड़ी देश पहुंच जाते हैं. खाड़ी देशों में छोटे-मोटे कामों के लिए भी अच्छी-खासी सैलरी मिलती है. कुवैत की बात करें तो उसकी तो रीढ़ की हड्डी ही भारतीय मजदूर हैं.  

कुवैत में भारतीयों की संख्या 

कुवैत की कुल जनसंख्या में 21% यानी करीब10 लाख सिर्फ भारतीय हैं. वहीं कुवैत के कुल वर्कफोर्स में ये 30% यानी लगभग 9 लाख भारतीय मजदूर हैं, जो अलग-अलग सेक्टर में काम करते हैं. जानकर हैरानी होगी कि कुवैत की कुल 48 लाख आबादी में कुवैती 30% तो प्रवासी 70% है. यानी कुवैत की पूरी अर्थव्यवस्था प्रवासियों पर निर्भर है.  ऐसे में प्रवासी मजदूरों को वहां अच्छी-खासी सैलरी ऑफर की जाती है. वहां छोटे-मोटे कामों के लिए भी अच्छे पैसे मिलते हैं. अगर भारतीय मजदूरों की बात करें तो आखिरी बार जनवरी 2016 में  वहां न्यूनतम मजदूरी संशोधित की गई थी.  

भारतीय मजदूरों की भारी डिमांड , कितनी मिलती है सैलरी 

कुवैत जैसे देशों में जो कि प्रवासियों पर निर्भर है. वहां भारतीय मजदूरों की अच्छी डिमांड है. भारतीय प्रोफेशनल और लेबर दोनों को अच्छी सैलरी का ऑफर मिलता है. भारत की तुलना में ये सैलरी काफी अधिक है. अगर मजदूरी की बात करें तो माली, कार धोने, कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले, खेती-बाड़ी, लेबर, हेल्पर जैसे काम करने वाले मजदूरों को वहां 100 कुवैती दिनार की सैलरी मिलती है. अगर भारतीय रुपये में देखें तो करीब 27266 रुपये ( एक कुवैती दिनार= 272 रुपये ) है. अगर काम गैस कटर, लैथ वर्कर जैसे मशनरी है तो सैलरी 140 से 170 कुवैती दिनार प्रति माह तक पहुंच जाती है कतर, कुवैत जैसे खाड़ी देशों में स्किल्ड मजदूरों को की औसत सैलरी 1260 कुवैती दिनार यानी करीह 3,43,324 रुपये प्रति माह है. 

भारत की मजदूरी से तीन गुना 

अगर स्लैब के हिसाब से देखें तो कुवैत में लोअर से मिड रेंज के काम के लिए भारतीय प्रोफेशनलों की सैलरी 2.70 लाख से लेकर 8 लाख रुपए तक है. वहीं हाइली स्किल्ड एक्सपीरियंस वाले प्रोफेशनल्स की सैलरी इससे भी अधिक है. इसी तरह से अनस्किल्ड लेबर को 27 से 30 हजार रुपए तो लोअर स्किल्ड लेबर तो  38 हजार से 46 हजार रुपए तक प्रतिमाह मिलता है. वहीं इस काम के लिए भारत में मजदूरी बहुत कम है. भारत में अनस्किल्ड लेबर के लिए मजदूरी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है. असम में जहां 6600 है तो बिहार में 10660 रुपये है. यानी कुवैत में मजदूरों को भारत के मुकाबले तीन गुना तक अधिक मजदूरी मिल जाती है, जिसके चलते वो परदेश जाने को तैयार हो जाता है. 

क्यों कुवैत पहुंच जाते हैं भारतीय

कुवैत में भारतीयों की भारी डिमांड है. कुवैत में काम करने वाली आबादी में 30 फीसदी भारतीय हैं. नौकरी, व्यापार, टूरिज्म समेत कई कारणों से भारतीय कुवैत पहुंच जाते हैं. कुवैत में अच्छी सैलरी भारतीय लेबर के लिए सबसे बड़ी वजह है वहां जाने के लिए. इसके अलावा टैक्स-फ्री इनकम, घरों पर मिलने वाली सब्सिडी, कम ब्याज पर लोन, मेडिकल हेल्प भारतीयों को कुवैत खींच लाते हैं. कुवैत में अधिकांश भारतीय मजदूर ऑयल, गैस, रियल एस्टेट, हेल्थकेयर और फाइनेंस सेक्टर के लिए काम करते हैं.  

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