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Indian Economy: जापान को लगा झटका, जर्मनी ने छीना ताज... भारत को होगा फायदा बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

Indian Economic Update: जर्मनी ने जापान को पछाड़ दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में वह जर्मनी की अर्थव्यवस्था के आकार से पीछे रह गया है. चीन ने 2010 में जापान से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का तमगा छीन लिया था.

Indian Economy: जापान को लगा झटका, जर्मनी ने छीना ताज... भारत को होगा फायदा बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
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Shivani Sharma|Updated: Feb 15, 2024, 04:48 PM IST

Indian Economy: एक तरफ भारत की इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है. इस बीच खबर आ रही है कि जापान अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं रहा है. जी हां... ये स्थान अब जर्मनी ने ले लिया है. जर्मनी ने जापान को पछाड़ दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में वह जर्मनी की अर्थव्यवस्था के आकार से पीछे रह गया है. 

एक्सपर्ट का कहना है कि आंकड़े इस बात को दिखाते हैं कि कैसे जापानी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता खो रही है. जापान की उम्रदराज आबादी और बच्चों के कम जन्म की वजह से जनसंख्या में युवा आबादी की संख्या कम हो गई है. 

2010 में चीन ने छीना था दूसरे नंबर वाला स्थान

चीन ने 2010 में जापान से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का तमगा छीन लिया था. तब जापान फिसलकर तीसरे स्थान पर आ गया था. इंटरनेशन मॉनेटरी फंड ने भी जापान के चौथे स्थान पर आने का अनुमान लगाया था. जापान की वास्तविक जीडीपी पिछले साल कुल 4500 अरब अमेरिकी डॉलर या लगभग 591000 अरब येन थी. 

जर्मनी ने पिछले महीने ही किया था ऐलान

जर्मनी ने पिछले महीने जीडीपी 4400 अरब अमेरिकी डॉलर या 45000 अरब अमेरिकी डॉलर होने की घोषणा की थी. वास्तविक जीडीपी पर कैबिनेट कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जापानी अर्थव्यवस्था 0.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से सिकुड़ गई है जो पिछली तिमाही से शून्य से 0.1 प्रतिशत कम है.

येन की कीमत गिरने का असर

साल 2023 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद पिछले वर्ष की तुलना में 1.9 प्रतिशत बढ़ा है. जापान और जर्मनी दोनों ने छोटे तथा मझोले आकार के व्यवसायों के जरिए अपनी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया. जापान के विपरीत जर्मनी ने मजबूत यूरो और मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ठोस आर्थिक कदम उठाए. कमजोर येन भी जापान के लिए नुकसान की वजह बना. 

क्या है इकोनॉमिस्ट का मानना?

तोक्यो यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर तेत्सुजी ओकाजाकी ने कहा कि नवीनतम आंकड़े कमजोर होने की वजह से जापान की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट. इसके परिणामस्वरूप दुनिया में जापान की उपस्थिति कम होने की संभावना है. उन्होंने कहा है कि मिसाल के तौर पर कई साल पहले जापान एक शक्तिशाली मोटर वाहन क्षेत्र होने का दावा करता था, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ वह लाभ भी प्रभावित हुआ.

कुछ सालों में भारत होगा जापान के आगे

ओकाजाकी ने कहा कि विकसित देशों और उभरते देशों के बीच अंतर कम हो रहा है. कुछ सालों में भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में जापान से आगे निकलना निश्चित है.

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