trendingNow12377979
Hindi News >>बिजनेस
Advertisement

2000 करोड़ की क्रिप्टो करेंसी हो गई चोरी, जानिए भारत की सबसे बड़ी साइबर लूट को कैसे दिया गया अंजाम

WazirX hacked: एक्सपर्ट्स का कहना है कि साइबर चोर ने ट्रांसफर फीस जमा करने के लिए टॉरनेडो कैश के वालेट का इस्तेमाल किया जिससे वह अपनी पहचान छिपाए रखने में कामयाब रहा.   

2000 करोड़ की क्रिप्टो करेंसी हो गई चोरी, जानिए भारत की सबसे बड़ी साइबर लूट को कैसे दिया गया अंजाम
Stop
Sudeep Kumar|Updated: Aug 10, 2024, 06:44 PM IST

India's Biggest Crypto Theft: पिछले महीने WazirX एक्सचेंज से जुड़े वॉलेट से लगभग 2000 करोड़ रुपये यानी 230 मिलियन डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी चोरी हो गई थी. भारत में अब तक की यह सबसे बड़ी क्रिप्टो चोरी है. 

इस चोरी के बाद WazirX ने केंद्रीय साइबर क्राइम पोर्टल, वित्तीय खुफिया इकाई और भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन रिस्पांस टीम को घटना की सूचना दी. इसके अलावा दिल्ली में भी इस मामले को लेकर पुलिस केस दर्ज हुआ है. 

बड़े पैमाने पर चोरी की तैयारी

यह चोरी की तैयारी किस स्तर पर की गई थी इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सुरक्षित डिजिटल वॉलेट से  ट्रांजैक्शन के लिए  6 में से 4 सिग्नचर की जररूत पड़ती है. इसके बावजूद इस चोरी को अंजाम दे दिया गया. आइए जानते हैं कि भारत की सबसे बड़ी क्रिप्टो चोरी को कैसे अंजाम दिया गया.

दो प्रमुख डिजिटल फोरेंसिक फर्म पेलोरस टेक्नोलॉजी और क्रिस्टल इंटेलिजेंस प्रमुख साइबर और क्रिप्टो अनियमितताओं की जांच में मदद करती हैं. इन दो फर्मों ने विस्तार से बताया है कि इस बड़े पैमाने की चोरी को कैसे अंजाम दिया गया था. क्रिस्टल इंटेलिजेंस एक ब्लॉकचेन इंटेलिजेंस फर्म है जो रियल टाइम में ब्लॉकचेन पर क्रिप्टो मनी ट्रेल्स की निगरानी के लिए एक सुरक्षा उपकरण का उपयोग करती है.

भारत की सबसे बड़ी साइबर लूट की कहानी

Wazir X की ओर से जारी बयान में कंप्रोमाइज हुए उस वॉलेट का नंबर साझा किया है जिससे चोरी हुई है. जब दुनिया भर के साइबर इन्वेस्टिगेटरों ने मनी ट्रेल की जांच की तो पाया कि 18 जुलाई को साइबर चोरों ने लगभग 200 ट्रांजेक्शन किए हैं. जांच से यह भी पता चला कि चोरी की तैयारी 10 जुलाई से ही की जा रही थी.

क्रिस्टल Inteligence के कंट्री मैनेजर  संजीव शाही का कहना है कि जब हमने जांच शुरू की तो हमें एक समानांतर स्टोरी नजर आई. सबसे पहले वॉलेट से छेड़छाड़ की गई और वहां से चोरों ने 230 मिलियन डॉलर अपने वॉलेट में ट्रांसफर कर लिए. यह लेनदेन अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी में हुई है. जब हमने बैक ट्रेल देखा तो 10 जुलाई से टॉरनेडो कैश से उस वॉलेट को फंड किया जा रहा था. इस लेनदेन से यह भी पता चलता है कि चोर 10 जुलाई से ही तैयारी कर रहा था. 

पहचान छिपाए रखने में कामयाब

एक्सपर्ट्स का कहना है कि साइबर चोर ने ट्रांसफर फीस जमा करने के लिए 1080 डॉलर के करीब क्रिप्टो अपने वालेट में जमा किया. इसके लिए उसने टॉरनेडो कॅश के वालेट का इस्तेमाल किया वह अपनी पहचान छिपाए रखने में कामयाब रहा. 

दरअसल, एक्सचेंज से ट्रांसफर के लिए फीस लगती है जिसे गैस फीस कहते हैं. टोरनेडो कैश हवाला ऑपरेटरों की तरह एक मिक्सिंग सेवा है जो पैसे ट्रांसफर करता है. लेकिन इसकी जानकारी नहीं देता है कि यह लेनदेन कौन कर रहा है.

Read More
{}{}