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Poverty in India:भारत में खत्म हुई महा गरीबी, 30 साल का काम 11 साल में हुआ, अमेरिका से आई रिपोर्ट से गदगद हो जाएंगे आप

भारत की अर्थव्यवल्था की रफ्तार ने बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है. भारत के जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों ने सबको हैरान कर दिया है.

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Bavita Jha |Updated: Mar 02, 2024, 05:19 PM IST

Poverty in India: भारत की अर्थव्यवल्था की रफ्तार ने बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है. भारत के जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों ने सबको हैरान कर दिया है. अब अमेरिका से आई रिपोर्ट  खुशखबरी से कम नहीं है.  अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत में गरीबी आबादी की संख्या में लगातार कमी आ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक देश से अति गरीबी खत्म हो चुकी है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जो काम पहले 30 सालों में देखने को मिलता था, वो 11 साल में हो रहे हैं.   

भारत में खत्म हुई अत्यधिक गरीबी

अमेरिकी थिंक टैंक 'द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन' के अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला और करण भसीन ने अपने एक लेख में कहा कि भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है. उन्होंने इसके लिए हाल में जारी 2022-23 के उपभोग व्यय के आंकड़ों का हवाला दिया. दोनों अर्थशास्त्रियों ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2011-12 के बाद से वास्तविक प्रति व्यक्ति खपत 2.9 प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ी है. इस दौरान ग्रामीण वृद्धि 3.1 प्रतिशत और शहरी वृद्धि 2.6 प्रतिशत रही. लेख में कहा गया कि इस दौरान शहरी और ग्रामीण असमानता में भी अभूतपूर्व गिरावट आई है. 

आंकड़ों से समझे कैसे खत्म हुई अति गरीबी

शहरी गिनी 36.7 से घटकर 31.9 हो गई, जबकि ग्रामीण गिनी 28.7 से घटकर 27.0 रह गई. आपतो बता दें कि गिनी सूचकांक आय वितरण की असमानता को दर्शाता है. अगर यह शून्य है तो इसका अर्थ है कि समाज में पूरी तरह समानता है. रिपोर्ट के मुताबिक असमानता विश्लेषण के इतिहास में यह गिरावट अभूतपूर्व है.लेख में कहा गया है कि उच्च वृद्धि दर और असमानता में बड़ी गिरावट ने मिलकर भारत में गरीबी को खत्म कर दिया है. गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी का अनुपात हेडकाउंट गरीबी अनुपात (एचसीआर) 2011-12 में 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में दो प्रतिशत रह गया.

30 साल की जगह 11 साल में हासिल किया लक्ष्य  

 ग्रामीण गरीबी 2.5 प्रतिशत थी, जबकि शहरी गरीबी घटकर एक प्रतिशत रह गई. लेखकों ने कहा कि इन अनुमानों में सरकार द्वारा लगभग दो-तिहाई आबादी को दिए जाने वाले मुफ्त भोजन (गेहूं और चावल) और सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा शिक्षा को ध्यान में नहीं रखा गया है. लेख में कहा गया है कि एचसीआर में गिरावट उल्लेखनीय है, क्योंकि अतीत में भारत को गरीबी के स्तर में इतनी कमी लाने के लिए 30 साल लगे थे, जबकि इस बार इसे 11 साल में हासिल किया गया है.उन्होंने कहा कि आधिकारिक आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय तुलनाओं में आमतौर पर परिभाषित अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है. 

इनपुट: भाषा

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