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Income Tax: सरकार ने दे दी बड़ी खुशखबरी, अब पुराने टैक्स रिजीम से ITR भरने पर मिलेगी ये 6 अहम छूट

Income Tax Slab: नए टैक्स रिजीम में कुछ लाभ मिलते हैं लेकिन इसमें किसी इंवेस्टमेंट पर छूट हासिल नहीं होती है. हालांकि नए टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन को जरूर जोड़ा गए है. वहीं अगर आपको इंवेस्टमेंट पर या अन्य छूट चाहिए तो पुराने टैक्स रिजीम के हिसाब से टैक्स दाखिल करना होगा.

Income Tax: सरकार ने दे दी बड़ी खुशखबरी, अब पुराने टैक्स रिजीम से ITR भरने पर मिलेगी ये 6 अहम छूट
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Himanshu Kothari|Updated: Apr 23, 2023, 11:27 AM IST

Income Tax Return: 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत आयकर में बदलाव की घोषणा की थी. निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार के जरिए लगाई गई नई टैक्सेशन व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2023-24 से डिफॉल्ट होगी. नई व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपये सालाना की इनकम पर टैक्स छूट हासिल हो सकती है. वित्त मंत्री के जरिए नई आयकर व्यवस्था के तहत छूट बढ़ाने के बाद 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले करदाताओं को करों में 33,800 रुपये की बचत होगी.

इनकम टैक्स
नए टैक्स रिजीम में कुछ लाभ मिलते हैं लेकिन इसमें किसी इंवेस्टमेंट पर छूट हासिल नहीं होती है. हालांकि नए टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन को जरूर जोड़ा गए है. वहीं अगर आपको इंवेस्टमेंट पर या अन्य छूट चाहिए तो पुराने टैक्स रिजीम के हिसाब से टैक्स दाखिल करना होगा. पुराने टैक्स रिजीम में कई छूट हासिल होती है. इसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं...

पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत उपलब्ध कटौती

1. स्टैंडर्ड डिडक्शन: वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 50000 रुपये.

2.धारा 80 सीसीडी (1बी): एनपीएस खाते में जमा राशि के लिए 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती.

3.धारा 80टीटीए: यह धारा एक व्यक्ति या एक एचयूएफ के लिए बैंक, सहकारी समिति या डाकघर के बचत खाते से ब्याज आय पर अधिकतम 10,000 रुपये की कटौती प्रदान करती है.

4.धारा 80D: यह स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की अनुमति देता है.

5. धारा 80G: पात्र ट्रस्टों और धर्मार्थ संस्थाओं को दिया गया दान कटौती के योग्य है.

6. धारा 80सी: ईपीएफ और पीपीएफ, ईएलएसएस, जीवन बीमा प्रीमियम, गृह ऋण भुगतान, एसएसवाई, एनएससी और एससीएसएस में निवेश करते हैं और छूट हासिल करते हैं.

करदाताओं को ध्यान देना चाहिए कि यदि आप एक कर्मचारी हैं और नई-पुरानी टैक्स व्यवस्था के बीच चयन करने में विफल रहते हैं, तो आपको नए टैक्स रिजीम दरों पर टीडीएस काटा जाएगा. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के एक सर्कुलर से मामला साफ हो गया है. इसमें कहा गया था, "यदि कर्मचारी द्वारा सूचना नहीं दी जाती है, तो यह माना जाएगा कि कर्मचारी डिफॉल्ट टैक्स व्यवस्था में बना हुआ है और उसने नई टैक्स व्यवस्था से बाहर निकलने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया है. ऐसे मामले में नियोक्ता अधिनियम की धारा 115BAC की उप-धारा (lA) के तहत प्रदान की गई दरों के अनुसार, अधिनियम की धारा 192 के तहत आय पर स्रोत पर कर कटौती करेगा."

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