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हिंडनबर्ग का एक और खुलासा, इस बार SEBI चीफ और उनके पति पर बड़ा आरोप

Hindenburg Research New Report: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को लेकर एक बार फिर नया दावा किया है. हिंडनबर्ग ने शनिवार सुबह ही संकेत दिया था कि वह भारत को लेकर कोई बड़ा खुलासा करने वाला है. फर्म ने पिछले साल जनवरी में भी अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी.

हिंडनबर्ग का एक और खुलासा, इस बार SEBI चीफ और उनके पति पर बड़ा आरोप
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Sudeep Kumar|Updated: Aug 10, 2024, 11:45 PM IST

Hindenburg Research: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को लेकर एक बार फिर नया दावा किया है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशॉर फंडों में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति की भी हिस्सेदारी थी.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों में में कहा है कि हमने पहले सीरियस रेगुलेटरी इंटरवेंशन के बिना अडानी ग्रुप को कॉन्फिडेंस में काम करने के रवैया पर गौर किया. अडानी ग्रुप के इस कॉन्फिडेंस से लगा कि इसका सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के साथ कोई न कोई संबंध है. 

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में और क्या है?

अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हमें इसका इसका एहसास नहीं था कि वर्तमान सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच के पास बिल्कुल उसी अस्पष्ट ऑफशॉर फंडों में छिपी हुई हिस्सेदारी थी. यह हिस्सेदारी उसी नेस्टेड स्ट्रेक्चर में पाई गई, जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था.

शॉर्ट-सेलर ने फर्म ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था. IIFL के एक प्रिंसिपल द्वारा दस्तखत किए गए फंड में कहा गया है कि इस निवेश का स्रोत वेतन है. जबकि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की कुल संपत्ति 10 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है.

जनवरी 2023 में जारी किया था रिपोर्ट

पिछले साल 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी एंटरप्राइजेज की शेयर बिक्री से ठीक पहले अडानी ग्रुप की आलोचना करते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के बाजार मूल्य में 86 बिलियन डॉलर की गिरावट आई थी. साथ ही इसके विदेशी सूचीबद्ध बांडों की भारी बिक्री हुई. इस रिपोर्ट का असर कितना प्रभावी था इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि गौतम अडानी दुनिया के नंबर 2 अरबपति से 36वें नंबर पर खिसक गए थे.

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