Sugarcane FRP: सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले गन्ना किसानों को तोहफा देते हुए गन्ने की एफआरपी (FRP) 25 रुपये बढ़ा दी. इसके बाद गन्ने का रेट 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. लेकिन सरकार का यह फैसला शुगर कंपनियों के लिए सही नहीं रहा. गुरुवार के कारोबार में चीनी मिल कंपनियों के शेयर में गिरावट दर्ज की गई. आने वाले समय में शुगर कंपनियों के स्टॉक में और गिरावट आ सकती है. दूसरी तरफ गुरुवार को शेयर बाजार में रिकवरी देखी गई और निफ्टी रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया.
शुगर कंपनियों के शेयर का हाल
सरकार के फैसले के बाद चीनी बनाने वाली कंपनियों के शेयर गुरुवार को गिरकर बंद हुए. कारोबारी सत्र के अंत में राणा शुगर्स लिमिटेड का शेयर 0.75 पैसे टूटकर (2.86%) 25.44 रुपये पर आ गया. मवाना शुगर्स के शेयर में भी गुरुवार को गिरावट आई और यह 2.46% प्रतिशत (2.57 रुपये) गिरकर 102.07 रुपये पर पहुंच गया. श्री रेणुका शुगर्स का शेयर 0.74 रुपये (1.49%) टूटकर 48.96 रुपये पर बंद हुआ. इसके अलावा केसीपी शुगर एंड इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के शेयर में हल्की गिरावट देखी गई. यह शेयर 10 पैसे टूटकर 41.75 रुपये के लेवल पर बंद हुआ. ईआईडी पैरी (इंडिया) का शेयर 8 रुपये से ज्यादा टूटकर 630.60 रुपये पर आ गया.
सरकार ने क्या लिया फैसला
सरकार ने 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. गन्ने का नया सत्र अक्टूबर से शुरू होता है. फेयर एंड रिम्यूनेरेटिव प्राइस (FRP) वह न्यूनतम कीमत है, जो मिलों को गन्ना उत्पादकों को चुकानी पड़ती है. गन्ने की एफआरपी (FRP) बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में लिया गया. 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मोदी सरकार की तरफ से की गई सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है. सरकार की तरफ से उठाए गए कदम का फायदा मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के किसानों को मिलेगा.
क्या है एफआरपी
देश में एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) वो न्यूनतम दर है जिस पर चीनी मिलों को कानून के अनुसार किसानों को गन्ने के लिए न्यूनतम मूल्य देना होता है. एफआरपी को सरकार की तरफ से तय किया जाता है. एफआरपी तय करने में गन्ना उत्पादन का खर्च (मजदूरी, खाद, सिंचाई और मशीनों का खर्च), दूसरी फसलों से होने वाला मुनाफा, खेती की चीजों के दामों का उतार-चढ़ाव, ग्राहकों के लिए चीनी की उपलब्धता, चीनी बनाने का खर्च और मुनाफे आदि को ध्यान में रखा जाता है. अक्टूबर-सितंबर 2024-25 सीजन के लिए एफआरपी 340 रुपये प्रति क्विंटल है, यह पिछले साल से 8 परसेंट ज्यादा है.