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WTO प्रगतिशील बने, सभी देशों की बात सुने और निष्पक्ष रहे; बोलीं FM न‍िर्मला सीतारमण

FM Nirmala Sitharaman: सीतारमण ने अमेरिका के विचार समूह ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में कहा, ‘मैं चाहती हूं कि डब्ल्यूटीओ और अधिक प्रगतिशील बने, सभी देशों की बात सुने और सभी के प्रति निष्पक्ष रहे.’

WTO प्रगतिशील बने, सभी देशों की बात सुने और निष्पक्ष रहे; बोलीं FM न‍िर्मला सीतारमण
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Zee News Desk|Updated: Apr 11, 2023, 02:42 PM IST

World Trade Organization: भारत की ऐसी मर्जी है क‍ि व‍िश्‍व व्यापार संगठन (WTO) और प्रगतिशील बने और भ‍िन्‍न राय रखने वाले देशों को भी महत्व दे. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जो देश अलग राय रखते हैं, डब्ल्यूटीओ को उन्हें अपनी बात रखने के पूरे मौके देना चाहिए. सीतारमण ने अमेरिका के विचार समूह ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में कहा, ‘मैं चाहती हूं कि डब्ल्यूटीओ और अधिक प्रगतिशील बने, सभी देशों की बात सुने और सभी के प्रति निष्पक्ष रहे.’

व‍ित्‍त मंत्री ने आगे कहा ‘वर्ष 2014 से 2017 के बीच देश की वाणिज्य मंत्री रहने के दौरान मैंने डब्ल्यूटीओ (WTO) के साथ कुछ वक्त बिताया. इससे उन देशों की राय सुनने का अधिक मौका मिला जो कुछ अलग कहना चाहते थे.’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘अमेरिका की वाणिज्य मंत्री कैथरीन तई के शब्दों को याद करना उपयोगी होगा, जो उन्होंने हाल में कहे थे. परंपरागत व्यापार के तौर-तरीके वास्तव में क्या हैं, बाजार का उदारीकरण सही मायनों में क्या है? शुल्क में कटौती के लिहाज से इसका मतलब क्या होगा?’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह वह समय है जब देश इस बात पर विचार कर रहे हैं कि बाजार का उदारीकरण किस हद तक होना चाहिए. अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर लागत के लिहाज से इसके दुष्प्रभाव पड़े हैं और अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने भी ठीक यही कहा था. जो उन्होंने महसूस किया, वही मैंने 2014 और 2015 में महसूस किया था. हालांकि मेरी बात को वैश्विक मीडिया में यह जगह नहीं मिली थी. कई कम विकसित देश जिन्हें वैश्विक दक्षिण देश (लातिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और ओशेनिया) कहा जाता है, वे भी यही मानते हैं.’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘यह वास्तव में क्या है? उदारीकरण की हद क्या है? शुल्क कटौती कितनी होनी चाहिए? भारत कम विकसित देशों यानी ‘वैश्विक दक्षिण’ के लिए यह कर रहा है. भारत की सबसे कम विकसित देशों के लिए कोटा मुक्त, शुल्क मुक्त व्यापार नीति है. इसलिए ये देश जो आकांक्षी हैं लेकिन कम आय वर्ग वाले हैं वे भारत को इन पाबंदियों के बिना निर्यात कर सकते हैं.’

 

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