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EPFO ने जुलाई में बनाया नया रिकॉर्ड, नौकरी करने वालों की संख्या में हुआ इजाफा

EPFO Data: जुलाई महीने में भी EPFO से जुड़ने वालों की संख्या रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने जुलाई 2023 में शुद्ध रूप से 18.75 लाख सदस्य जोड़े हैं. 

EPFO ने जुलाई में बनाया नया रिकॉर्ड, नौकरी करने वालों की संख्या में हुआ इजाफा
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Shivani Sharma|Updated: Sep 21, 2023, 07:03 AM IST

EPFO Members in July 2023: देशभर में नौकरीपेशा लोगों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है. जुलाई महीने में भी EPFO से जुड़ने वालों की संख्या रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने जुलाई 2023 में शुद्ध रूप से 18.75 लाख सदस्य जोड़े हैं. किसी एक महीने में संगठन से जुड़ने वाले अंशधारकों की अधिकतम संख्या है. संगठित क्षेत्र में नौकरी पाने वालों के बारे में जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. 

इस बार जुड़े हैं रिकॉर्ड सदस्य

श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सितंबर 2017 से प्रकाशित ईपीएफओ पेरोल आंकड़ों के बाद से किसी भी महीने में 18.75 लाख सदस्यों की यह सर्वाधिक वृद्धि है. ईपीएफओ सदस्यों की संख्या में पिछले तीन महीनों से बढ़ोतरी जारी है और जून में यह आंकड़ा 85,932 था.

पिछले साल की तुलना में सबसे ज्यादा

आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2023 के दौरान लगभग 10.27 लाख नए सदस्यों ने नामांकन किया है, जो जुलाई 2022 के बाद सबसे अधिक है.

सबसे ज्यादा 18-25 साल के लोग जुड़े

ईपीएफओ में शामिल होने वाले ज्यादातर नए सदस्य 18-25 वर्ष की आयु वर्ग के हैं. कुल सदस्यों में इनकी हिस्सेदारी लगभग 58.45 प्रतिशत है.

12.72 लाख सदस्य फिर आए वापस

नियमित वेतन पर नौकरी पाने वालों का आंकड़ा दर्शाता है कि लगभग 12.72 लाख सदस्य जो बाहर चले गए थे, वे फिर से ईपीएफओ में शामिल हो गए. यह दर पिछले 12 महीनों में सबसे अधिक है. इन सदस्यों ने अपनी नौकरियां बदल लीं और ईपीएफओ के तहत आने वाले प्रतिष्ठानों में फिर से शामिल हो गए. साथ ही इन्होंने अंतिम निपटान के लिए आवेदन करने के बजाय अपनी जमा राशि को स्थानांतरित करने का विकल्प चुना.

3.86 लाख महिलाएं जुड़ी

आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2023 के दौरान शुद्ध रूप से लगभग 3.86 लाख महिला सदस्य ईपीएफओ से जुड़े. लगभग 2.75 लाख महिला सदस्य पहली बार सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आई हैं.

राज्यों के आंकड़ों से मिली जानकारी

राज्यों के अनुसार विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और हरियाणा में सबसे अधिक शुद्ध वृद्धि हुई. बयान में कहा गया कि पेरोल आंकड़े अस्थायी है, क्योंकि आंकड़े एकत्रित करना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है.

इनपुट - भाषा एजेंसी

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