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क‍िसी ने पेट्रोल पंप पर तो किसी ने केम‍िस्‍ट शॉप पर काम क‍िया... कोई काम छोटा नहीं होता! अंबानी-अडानी जैसे रईसों से सीखिए

देश के शीर्ष कारोबार‍ियों में से तमाम ऐसे हैं ज‍िन्‍होंने अपने जीवन की शुरुआत बेहद साधारण तरीके से की. लेक‍िन ये लोग अपने काम में पूरी श‍िद्दत के साथ जुटे रहे और आज इन्‍होंने ऐसा मुकाम पाया है, ज‍िसके बारे में शायद ही इन्‍होंने भी कभी सोचा हो.  

क‍िसी ने पेट्रोल पंप पर तो किसी ने केम‍िस्‍ट शॉप पर काम क‍िया... कोई काम छोटा नहीं होता! अंबानी-अडानी जैसे रईसों से सीखिए
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Kriyanshu Saraswat|Updated: Sep 18, 2024, 10:38 AM IST

Indian Billionaire First Job: ज‍िंदगी में सफल होना केवल आपकी क‍िस्‍मत का खेल नहीं होता. ज‍िंदगी में कामयाबी आपकी मेहनत और आपके दृढ़ न‍िश्‍चय पर न‍िर्भर करती है. ऐसे तमाम लोग हैं जो देश में बहुत ही साधारण पर‍िवार से आए लेक‍िन उन्होंने सफलता का जो मुकाम हास‍िल क‍िया है, उससे आज तमाम लोगों को हौसला म‍िलता है. इन लोगों ने मुश्किलों का सामना करते हुए मौकों को पहचाना और उनका फायदा उठाकर आगे बढ़ गए. इन लोगों की कहानियां सुनकर यह पता चलता है क‍ि ये कैसे अपनी ज‍िंदगी में जुटे रहे और मेहनत के दम पर साधारण जीवन से उठकर जबरदस्‍त सफलता हास‍िल की. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ कामयाब लोगों से जुड़ी कहानी के बारे में-

धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani)

धीरूभाई अंबानी एक दूरदर्शी कारोबारी थे. गुजरात के एक गरीब गांव से आकर धीरूभाई ने कारोबार में एक अलग मुकाम हास‍िल क‍िया. उन्‍होंने अपने परिवार की मदद करने के लिए स्कूल को जल्दी छोड़ दिया और अलग-अलग काम क‍िया. उन्‍होंने सबसे पहले एक गैस स्टेशन पर काम क‍िया जो एक ब्रिटिश कॉलोनी में था. उन्‍हें ज‍िंदगी की पहली सैलरी अदन में ही म‍िली. 17 साल की उम्र में वह अदन चले गए और शुरू में बिना सैलरी के काम क‍िया. शुरू में तो उन्‍हें सैलरी नहीं म‍िली लेक‍िन उन्होंने काम जारी रखा और यहां से अनुभव ल‍िया. उनकी पहली सैलरी 300 रुपपे थी और वह गैस स्टेशन पर काम करते थे.

रतन टाटा (Ratan Tata)
रतन टाटा एक बहुत ही सम्मानित व्यापारी हैं. उन्हें एक बहुत अच्छी नौकरी का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने अपने पर‍िवार से जुड़ी कंपनी में काम करना चुना. उन्होंने अपना करियर 1961 में टाटा स्टील के कारखाने में काम करके शुरू किया. बाद में वह टाटा मोटर्स में ट्रेन‍िंग के ल‍िए शामिल हुए और परिवार के ब‍िजनेस में सीधे तौर पर शाम‍िल हो गए. बाद में उन्‍होंने दूसरी कंपनी में भी काम किया.

किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw)
किरण मजूमदार शॉ सफल महिला कारोबारी हैं. उन्होंने अपना करियर ऑस्ट्रेलिया में एक शराब बनाने वाली कंपनी में बतौर ट्रेनी शुरू क‍िया. वह भारत लौटीं तो उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद उन्होंने बायोकॉन नाम की कंपनी की शुरुआत की और कामयाब हुईं. अपनी कामयाबी के दम पर वह महिला उद्यमियों के लिए प्रेरणा बन गईं. उन्‍हें ब‍िजनेस और साइंस के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2024 तक उनकी कुल नेटवर्थ 2.5 बिलियन डॉलर थी.

गौतम अडानी (Gautam Adani)
अडानी ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन गौतम अडानी की ग‍िनती देश और दुन‍िया के चुन‍िंदा अरबपत‍ियों में होती है. ब्‍लूमबर्ग ब‍िलेन‍ियर इंडेक्‍स के अनुसार उनकी नेटवर्थ 101 ब‍िल‍ियन डॉलर है. उन्होंने अपना कर‍ियर 1978 में शुरू किया. जब कम उम्र में ही मुंबई चले गए और महेंद्र ब्रदर्स नाम की कंपनी में हीरे छांटने का काम किया. यहां से अनुभव हास‍िल करने के बाद गौतम अडानी ने झावेरी मार्केट में अपना हीरों का ब‍िजनेस शुरू क‍िया.

सुधा मूर्ति (Sudha Murty)
सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष और इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायणमूर्त‍ि की पत्‍नी हैं. वह इंजीनियरिंग में मह‍िलाओं के ल‍िए एक नजीर हैं. महिलाओं के प्रति उनके व्यवहार की आलोचना करते हुए टेल्को को पोस्टकार्ड भेजने के बाद वह कंपनी की तरफ से नियुक्त पहली महिला इंजीनियर बन गईं. इस कंपनी को अब टाटा मोटर्स के नाम से जाना जाता है. उन्होंने अपना करियर पुणे में एक डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में शुरू किया और बाद में मुंबई व जमशेदपुर चली गईं.

इंद्रा नूयी (Indra Nooyi)
इंद्रा नूयी पेप्‍स‍िको की पूर्व सीईओ रह चुकी हैं. वह पहली ऐसी मह‍िला थीं ज‍िन्‍होंने ग्‍लोबल कंपनी का नेतृत्‍व क‍िया. उनकी लीडरश‍िप में पेप्सिको के मुनाफे में बढ़ोतरी हुई और कंपनी का ब‍िजनेस ज्‍यादा स्‍थ‍िर हो गया. 1955 में भारत में जन्मी नूयी ने करियर की शुरुआत एक ब्रिटिश टेक्‍सटाइल फर्म कंपनी में ब‍िजनेस स्‍ट्रेटज‍िक के रूप में की थी. इसके बाद उन्‍होंने मुंबई में जॉनसन एंड जॉनसन में प्रोडक्‍ट मैनेजर के तौर पर काम क‍िया.

अर्देशिर गोदरेज (Ardeshir Godrej)
गोदरेज ग्रुप के फाउंडर अर्देशिर गोदरेज ने देश की आजादी से पहले ही अपना कारोबार शुरू किया था. उन्होंने हाई क्‍वाल‍िटी वाले ताले बनाए जो ब्रिटिश से आने वाले तालों से ज्‍यादा सस्‍ते थे. अपनी ज‍िंदगी की शुरुआत में उन्‍होंने एक केम‍िस्‍ट शॉप पर अस‍िस्‍टेंट के रूप में काम क‍िया. यहां से उनकी रुच‍ि सर्जिकल टूल्‍स में जाग गई. उन्‍होंने अपने पहले ब‍िजनेस वेंचर के असफल होने के बावजूद हार नहीं मानी. इसके बाद उन्‍होंने मेरवानजी कामा की मदद से गोदरेज ब्रदर्स की शुरुआत की. यह धीरे-धीरे तालों के लिए एक व‍िश्‍वसनीय ब्रांड बन गया.

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