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Connaught Place: दिल्ली का कनॉट प्लेस किसका है, किराया कितना है, कौन वसूलता है?

Connaught Place Rent: दिल्ली का कनॉट प्लेस दुनिया की महंगी जगहों में से एक है. इससे जुड़े कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. आइये आपको बताते हैं सीपी के बारे में दिलचस्प बातें...

Connaught Place: दिल्ली का कनॉट प्लेस किसका है, किराया कितना है, कौन वसूलता है?
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Gunateet Ojha|Updated: Sep 09, 2023, 08:26 PM IST

Connaught Place Interesting Facts: दिल्ली (Delhi) अगर दिल वालों की है, तो इसका दिल कनॉट प्लेस (Connaught Place) है. यहां वो सारी वर्ल्ड क्लास सुविधा मौजूद है. 30 हेक्टेयर में फैला कनॉट प्लेस खरीदारों के लिए स्वर्ग है तो काम करने वालों के लिए ड्रीम प्लेस भी है. कनॉट प्लेस के बारे में कई ऐसे फैक्ट्स हैं जिसके बारे में ज्यादातर लोग अंजान होंगे. आइये आपको बताते हैं दुनिया की सबसे महंगी जगहों में से एक कनॉट प्लेस के बारे में दिलचस्प तथ्य.

कनॉट प्लेस का शॉर्ट नेम सीपी है. यह दिल्ली का सबसे प्रामाणिक एहसास देता है. रणनीतिक रूप से शहर के केंद्र में स्थित यह जगह जॉर्जियाई वास्तुकला की अनूठी सुंदरता को दर्शाता है. सीपी न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में सबसे महंगे कमर्शियल मार्केट में से एक है. यहां औसत किराया 9,000 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति माह से अधिक है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीपी दुनिया भर के शीर्ष दस महंगे बाजारों में से एक है.

एक समय में सीपी सबसे महंगे बाजार होने के मामले में मिडटाउन मैनहट्टन, न्यूयॉर्क और सेंट्रल लंदन के अप-मार्केट स्थानों में टॉप पर था. सीपी में न केवल प्रतिष्ठित मीडिया घराने बल्कि विभिन्न सरकारी कार्यालय और बैंक भी शामिल हैं. यह क्षेत्र व्यापारिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है और शहर का प्रमुख केंद्रीय व्यापार जिला (सीबीडी) है.

कनॉट प्लेस अपनी जॉर्जियाई शैली की वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है. यहां इनर सर्कल को जोड़ने वाली सात सड़कें हैं. 12 सड़कें बाजार के अंदर और बाहर जाती हैं, जिनमें जनपथ रोड सबसे लोकप्रिय है.

सीपी में एक और प्रमुख आकर्षण सेंट्रल पार्क है. केंद्र में हरा-भरा पार्क अब सीपी की विरासत बन गया है. यह देश में सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज की मेजबानी का दावा करता है. यह झंडा 207 फीट ऊंचा, 60 फीट चौड़ा और लगभग 37 किलोग्राम वजनी है. यह देश का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा झंडा है. यह झंडा किसी भी दर्शक के दिल में गर्व और देशभक्ति की भावना पैदा करता है.

अब बात करते हैं किराय की.. पुराने दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 के बाद, सीपी में कई संपत्तियों का मासिक किराया 3,500 रुपये से कम है. ऐसी अधिकांश संपत्तियों का बाजार किराया आज लाखों में है. लेकिन अधिनियम मकान मालिकों को उन किरायेदारों के लिए हर साल 10 प्रतिशत से अधिक किराया बढ़ाने से रोकता है. जिन्होंने भारत की आजादी से पहले संपत्तियों पर कब्जा कर लिया था. जिससे संपत्ति के मालिकों को एशिया के सबसे महंगे बाजार में अभी के हिसाब से ना के बराबर किराये की आय होती है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कनॉट प्लेस में कई मालिक हैं. कनॉट प्लेस की असली माल‍िक भारत सरकार है. गौर करने वाली बात यह है कि यहां स्टारबक्स, पिज़्ज़ा हट, वेयरहाउस कैफे जैसी बड़ी कंपनियों और बड़े बैंकों के दफ्तर हैं. इनसे महीने का लाखों रुपये वसूला जा रहा है. सीधा सा मतलब यह है कि यहां की जगहों के मूल मालिकों को कुछ हजार रुपये ही किराये मिल रहे होंगे और किरायेदार करोड़ों कमा रहे हैं.

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