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Per Capita Income: चुनाव से पहले मोदी सरकार के ल‍िए एक और खुशखबरी, खुशी से उछल पड़ा सुनने वाला हर शख्‍स

Gross Domestic Product: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2047 तक 20,000 अरब डॉलर (16.54 लाख) और प्रति व्यक्ति आय 10,000 डॉलर (8.25 लाख रुपये) हो जाएगी.

Per Capita Income: चुनाव से पहले मोदी सरकार के ल‍िए एक और खुशखबरी, खुशी से उछल पड़ा सुनने वाला हर शख्‍स
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Kriyanshu Saraswat|Updated: Jan 05, 2023, 08:55 AM IST

Economic Growth: मोदी सरकार की तरफ से इस बार का बजट 1 फरवरी 2023 को पेश क‍िया जाएगा. यह लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का आख‍िरी पूर्ण बजट होगा. इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं. इससे पहले सरकार के ल‍िए बड़ी खुशखबरी आई है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2047 तक 20,000 अरब डॉलर (16.54 लाख) और प्रति व्यक्ति आय 10,000 डॉलर (8.25 लाख रुपये) हो जाएगी.

GDP का आकार 20,000 अरब डॉलर होगा
हैदराबाद यून‍िवर्स‍िटी में आयोजित 57वें सालाना सम्मेलन को 'ऑनलाइन' संबोधित करते हुए देबरॉय ने कहा कि कोविड-19 महामारी संभवत: खत्म हो गई है. लेकिन चीन की स्थिति, रूस-यूक्रेन युद्ध, यूरोप और अमेरिका में आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) की संभावनाएं जैसी चीजों को देखते हुए ऐसा लगता है कि अब भी वैश्‍व‍िक स्तर पर कई अनिश्चितताएं हैं. देबरॉय के हवाले से आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया क‍ि अमेरिकी मुद्रा के आज के मूल्य के हिसाब से साल 2047 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 10,000 डॉलर (8.25 लाख रुपये) होगी. जीडीपी का औसत आकार 20,000 अरब डॉलर होगा. यानी भारत एक परिवर्तित समाज होगा.'

कोविड के बाद आर्थिक संकेतकों में सुधार हुआ
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों समेत लोगों को बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान की गई हैं. भारत में कोविड के बाद आर्थिक संकेतकों में सुधार हुआ है. हर कोई 2023-24 में वृद्धि दर और 2047 तक अर्थव्यवस्था की वृद्धि को देखना चाहता है. देबरॉय ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध, यूरोप तथा अमेरिका में आर्थिक वृद्धि की संभावना जैसी चीजों से वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के कारण देश को विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार और पूंजी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.

उन्होंने कहा, 'भारत कोई इनसे अलग-थलग नहीं है. ऐसे में हमें भी अस्थिरता का सामना करना होगा. विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार, पूंजी बाजार और विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा. मुद्रास्फीति पर भी इन अनिश्चितताओं का असर होगा.' देबरॉय ने कहा कि भारत को एक सरलीकृत माल एवं सेवा कर (GST) और डारेक्‍ट टैक्‍स की जरूरत है. ये ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर हर किसी को सोचना चाहिए. (इनपुट PTI)

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