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Amitabh Chaudhry on UPI: हमें भी 'फूंकने' के ल‍िए पैसा दो..., UPI को लेकर Axis Bank चीफ का चौंकाने वाला बयान

UPI: अमिताभ चौधरी ने आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने पूछने पर कहा, 'हमारे पास नुकसान उठाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये नहीं थे. हमें भी आप खर्च करने के ल‍िए पैसा दीज‍िए, हम भी यूपीआई जैसा प्रोडक्‍ट तैयार कर सकते हैं.'

Amitabh Chaudhry on UPI: हमें भी 'फूंकने' के ल‍िए पैसा दो..., UPI को लेकर Axis Bank चीफ का चौंकाने वाला बयान
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Kriyanshu Saraswat|Updated: Dec 09, 2022, 12:37 PM IST

Amitabh Chaudhry: र‍िजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) की तरफ से यूपीआई (UPI) के इस्‍तेमाल को लगातार बढ़ावा द‍िया जा रहा है. इसी के मद्देनजर प‍िछले द‍िनों आरबीआई ने बताया था क‍ि जल्‍द यूपीआई से पेमेंट को खाते में ‘ब्लॉक’ करने और भुगतान की सुविधा मिलेगी. इसके तहत ‘ब्लॉक’ क‍िए गए पेमेंट को अलग-अलग कामों के ल‍िये काटे जाने (Single Block and Multiple Debits) की सुव‍िधा दी जाएगी. दूसरी तरफ यूपीआई से पेमेंट करने पर गूगल पे (GPay), फोन पे (PhonePe), अमेजन पे (Amazon Pay) और पेटीएम (Paytm) जैसी कंपनियों ने रोजाना ट्रांजेक्शन की लिमिट को सेट कर द‍िया है.

'हमारे पास नुकसान उठाने के लिए 3000 करोड़ नहीं थे'
इस बीच यूपीआई पेमेंट स‍िस्‍टम लागू करने से जुड़ी तैयारियों में ढिलाई बरतने पर आरबीआई (RBI) की आलोचना का जवाब देते हुए एक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी (Amitabh Choudhary) कड़ा बयान द‍िया है. उन्‍होंने कहा बैंकों के पास इस तरह का कारोबार खड़ा करने के लिए पैसे नहीं हैं. अमिताभ चौधरी ने आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने पूछने पर कहा, 'हमारे पास नुकसान उठाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये नहीं थे. हमें भी आप खर्च करने के ल‍िए पैसा दीज‍िए, हम भी यूपीआई जैसा प्रोडक्‍ट तैयार कर सकते हैं.'

नुकसान में चल रहे UPI बेस्‍ड ब‍िजनेस
प्राइवेट सेक्‍टर के तीसरे बड़े बैंक के प्रमुख चौधरी ने कहा कि 'यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस' (UPI) जैसे कारोबार नुकसान में चल रहे हैं, इनमें नकदी की किल्लत है. इसके अलावा उन्होंने यूपीआई बेस्‍ड ब‍िजनेस का मूल्यांकन लगातार बढ़ने पर आश्चर्य भी जताया. डिप्टी गवर्नर ने प‍िछले दिनों कहा था कि कुछ बैंकों की तरफ से शुरुआती निवेश नहीं किया गया, जिससे वे इसमें पिछड़ रहे हैं.

चौधरी ने कहा कि यूपीआई पेमेंट में गूगल पे और फोनपे जैसी द‍िग्‍गज कंपन‍ियां इसलिए मोटा निवेश कर रही हैं क्‍योंक‍ि उनके पास दूसरे कारोबार भी हैं. इस इंडस्‍ट्री में आगे की राह यही है कि या तो वे एक वितरक के तौर पर काम कर शुल्क वसूलें या इसी तरह के कारोबार में बैंकों के साथ मुकाबला करें. उन्होंने कहा, 'बैंक या अन्य संस्थान टेक्‍नोलॉजी बेस्‍ड कंपनियों की तरह भारी निवेश कर घाटा नहीं उठा सकते.' (इनपुट PTI)

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