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बिजनेस बढ़ाने के लिए 3000 करोड़ रुपये जुटाएंगे अनिल अंबानी, कर्ज कम होते ही बदलने वाली है तकदीर?

Anil Ambani Companies: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस बढ़ाने के लिए 3,014 करोड़ रुपये जुटाएगी. इसके बाद कंपनी की नेटवर्थ बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो जाएगी.  

बिजनेस बढ़ाने के लिए 3000 करोड़ रुपये जुटाएंगे अनिल अंबानी, कर्ज कम होते ही बदलने वाली है तकदीर?
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Sudeep Kumar|Updated: Sep 19, 2024, 10:24 PM IST

Anil Ambani Reliance Infra: तेजी से कर्ज मुक्त हो रहे अनिल अंबानी एक बार फिर से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बिजनेस को खड़ा करने में जुट गए हैं. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने बिजनेस बढ़ाने के लिए प्रमोटर ग्रुप की कंपनियों और अन्य निवेशकों को तरजीही इश्यू यानी Preferential Issue  के जरिए 3,014 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दे दी है.

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इसकी घोषणा ऐसे समय में की है जब एक दिन पहले ही कंपनी के कर्ज में तेजी से कमी आई थी. बुधवार को कंपनी ने कहा था कि उसने अपने स्टैंडअलोन विदेशी कर्ज को लगभग 87.6 प्रतिशत घटाकर 475 करोड़ रुपये कर दिया है, जो जून तक 3,831 करोड़ रुपये था. कंपनी ने कहा कि preferential issue  से आर-इंफ्रा की नेटवर्थ बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो जाएगी.

QIP के जरिए भी जुटाएगी 3000 करोड़

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर-इंफ्रा) के बोर्ड ने गुरुवार को 240 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर 12.56 करोड़ इक्विटी शेयर जारी करके 3,014 करोड़ रुपये जुटाने के लिए एक तरजीही मुद्दे को मंजूरी दी है. इसके अलावा रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने QIP के जरिए 3000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मांगी है.

कंपनी ने कहा है कि प्रमोटर समूह की कंपनी रिसी इनफिनिटी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य निवेशकों, फ्लोरिनट्री इनोवेशन एलएलपी और फॉर्च्यून फाइनेंशियल एंड इक्विटीज सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को तरजीही इश्यू दिया जाएगा. इससे प्रमोटरों की इक्विटी हिस्सेदारी में वृद्धि होगी.

मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगी कंपनी

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का कहना है कि इसके जरिए जुटाई गई राशि का इस्तेमाल बिजनेस के विस्तार या सहायक कंपनियों और संयुक्त उद्यमों में निवेश के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें लंबे समय के लिए जरूरी पूंजी जरूरतों को पूरा करने और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए भी शामिल है.

 

कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बढ़ी हुई पूंजी सरकार के 'मेक इन इंडिया' और 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण में सहायता के लिए उच्च विकास वाले क्षेत्रों में कंपनी की भागीदारी को बढ़ावा देगी.

 

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