US Fed Meeting: अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने चार साल के इंतजार के बाद ब्याज दर में कटौती कर दी है. फेड की तरफ से 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है. इसके बाद अमेरिका में ब्याज दरें 4.75% से 5% के बीच हो गई हैं. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की दो दिन तक चली मीटिंग में यह फैसला किया गया. आपको बता दें FOMC अमेरिका में ब्याज दर तय करने वाली अथॉरिटी है. बैठक के बाद अमेरिका फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने बताया कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था मजबूत है और महंगाई काफी कम हो गई है. फेड के 12 सदस्यों में से 11 ने ब्याज दर कटौती के पक्ष में वोटिंग की.
अमेरिका में महंगाई दर 7 प्रतिशत से घटकर 2.2 प्रतिशत पर आई
एफओएमसी बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए जेरोम पॉवेल ने कहा अमेरिका की इकोनॉमी मजबूत है. पिछले दो साल में हमने टारगेट को हासिल करने में अहम प्रगति की है. लेबर मार्केट अपनी पहले की स्थिति से नॉर्मल हो गया है. अगस्त में महंगाई दर 7 प्रतिशत के हाई लेवल से घटकर 2.2 प्रतिशत के करीब आ गई है. उन्होंने बताया कि अब महंगाई का रिस्क भी काफी कम हो गया है. फेड की तरफ से आखिरी बार मार्च 2020 में ब्याज दर में कटौती की गई थी. अमेरिका में एक महीने बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले यह फेड की तरफ से जनता को दी गई बड़ी राहत है.
फेड की कटौती से अमेरिकी शेयर बाजार में तेजी
कटौती से पहले फेड की दरें 5.25 से 5.5 प्रतिशत के बीच रहीं, जो कि 23 साल में सबसे ज्यादा थीं. यूएस फेड की तरफ से कटौती का फैसला होने के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भी तेजी देखी गई. इस खबर के बाद डाउन जोन्स 250 अंक और नैस्डैक 190 अंक चढ़ गया. माना जा रहा है कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) के फैसले का असर भारत सहित दुनियाभर के शेयर बाजार में देखने को मिलेगा. बुधवार को 82,948 अंक पर बंद हुए सेंसेक्स और 25,377 अंक पर बंद हुए निफ्टी में आज तेजी आने की उम्मीद है.
भारत में क्या होगा असर?
फेड की तरफ से ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद इसका असर दुनियाभर के बाजार में देखने को मिलेगा. कटौती के बाद गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में तेजी दिखाई देने की उम्मीद है. कई जानकारों का मानना है कि इस कटौती का असर आने वाले समय में गोल्ड मार्केट दोनों में देखने को मिलेगा. ब्याज दर में कटौती का मतलब है कि अमेरिका में सरकारी बॉन्डों पर भी ब्याज दरों में कमी. इससे निवेशक अपना पैसा बॉन्ड में लगाने की बजाय शेयर बाजार में थोड़ा और रिस्क उठाना पसंद करेंगे. इस समय भारतीय शेयर बाजार निवेशकों की पहली पसंद बने हुए हैं. इसके अलावा डॉलर पर दबाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. एक्सपोर्ट कंपनियों पर फेड रिजर्व का फैसला निगेटिव असर डाल सकता है.
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आरबीआई पर बढ़ेगा दबाव
फेड के फैसले के बाद देखने वाली बात यह है कि घरेलू बाजार में ब्याज दर में कितनी कटौती होती है. फेड के ब्याज दर घटाने से आरबीआई पर दबाव बढ़ेगा. घरेलू बाजार में खुदरा और थोक महंगाई दर में गिरावट देखी जा रही है. इसका असर अक्टूबर में होने वाली एमपीसी में नीतिगत दर को कम करने के रूप में देखा जा सकता है. इसको लेकर बाजार लंबे समय से मांग कर रहा है. लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि अभी आरबीआई इसको लेकर जल्दी नहीं करेगा और दिसंबर में होने वाली एमपीसी में ब्याज दर कम किये जाने की उम्मीद है. इसके बाद सभी प्रकार के लोन की ब्याज दर कम हो सकती है.