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Suryadev Arghya Vidhi: बारिश के दिनों में नहीं हो रहे सूर्य देव के दर्शन, तो इस विधि से करें जल अर्पित

Surya Dev Arghya Vidhi: हिंदू धर्म में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है. कहते हैं जो व्यक्ति सुबह उठ कर सूर्यदेव की उपासना करता है उसे जीवन में प्रसिद्धि, मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है. 

 
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shilpa jain|Updated: Jul 24, 2023, 03:29 PM IST

Suryadev Ko Jal Kaise Chadhaye: हिंदू धर्म में सूर्यदेव की पूजा का बहुत महत्व है. सूर्य को सभी का राजा माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है उसे समाज में प्रसिद्धि, मान-सम्मान और करियर में अपार सफलता मिलती है. कहते हैं कि कलयुग में सूर्यदेव एकमात्र साक्षात दिखाई देने वाले देवता हैं, इसलिए रोजाना सूर्यदेव को सुबह-सुबह प्रणाम करके अर्घ्य देना चाहिए. हालांकि बारिश के मौसम में सूर्य नहीं दिखाई देने पर उन्हें अर्घ्य कैसे दें यह सावाल मन में आता है. तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मानसून में सूर्य भगवान को अर्घ्य कैसे दें

बारिश के दिनों में कैसे दें सूर्य देव को अर्घ्य जानें 

बारिश के दिनों में सूर्य देव दिखाई नहीं देते हैं ऐसे में सुबह जब आप सूर्य को अर्घ्य दें तो ध्यान रखें कि आपका मुंह पूर्व की तरफ हो, सूर्य पूर्व से ही उगता है तो इन्हें अर्घ्य भी इसी दिशा में दिया जाता है. वहीं इसके अलावा आप सूर्य भगवान की तस्वीर के रोजाना दर्शन कर भी उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. 

सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इन बातों का भी रखें ध्यान

- शास्त्रों के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देते समय हमेशा आप तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करें. तांबा एक पवित्र धातु माना जाता है और अर्घ्य देने के लिए यह बहुत शुभ मानी जाती है. इसके साथ ही जल में सिंदूर, अक्षत, लाल फूल जरूर डालें.

- सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इस बात भी विशेष ध्यान रखना चाहिए आप दोनों हाथों को ऊपर करके धीरे-धीरे अर्पित करें और यह जल आपके पैरों के नीचे न आए. अर्घ्य देने के साथ सूर्य के मंत्र का जाप करना बहुत जरूरी है.

- सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इस बात का भी ध्यान रख कि अंगूठा और तर्जनी ऊंगली आपस में न मिलनी चाहिए और ना ही कोई उंगली पानी को स्पर्श करें.

- मान्यता है कि सूर्य देव को तीन बार जल चढ़ाया जाता है. पहली बार जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा करें. ऐसा तीन बार किया जाता है. यानी तीन बार अर्घ्य देने के साथ तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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