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Nirjala Ekadashi 2023: क्यों है निर्जला एकादशी का महत्व, जानिए पौराणिक कथा; पूजा के दौरान जरूर करें पाठ

Nirjala Ekadashi Mythology Story: इस व्रत को करने से सभी पाप मिटते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा के समय निर्जला एकादशी व्रत कथा को सुनते हैं या पढ़ते हैं.

निर्जला एकादशी कथा
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Zee News Desk|Updated: May 31, 2023, 12:17 AM IST

Nirjala Ekadashi 2023 Katha: निर्जला एकादशी का व्रत इस साल 31 मई बुधवार को है. इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु के पूजा करने के बहुत मायने हैं. इस दिन बिना अन्न और जल को ग्रहण किए व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं. निर्जला एकादशी का व्रत करने वाले को पूरे वर्ष के सभी एकादशी व्रतों के पुण्य के बराबर फल प्राप्त होता है. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी पाप मिटते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा के समय निर्जला एकादशी व्रत कथा को सुनते हैं या पढ़ते हैं. आइए इस लेख में जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत कथा के बारे में.

निर्जला एकादशी व्रत कथा

पौराणिक क​था के अनुसार, एक बार भीम ने वेद व्यास जी से कहा कि बड़े भाई युधिष्ठिर, अर्जुन समेत सभी अनुज एकादशी का व्रत रखने के लिए सुझाव देते हैं. वे भगवान की पूजा और दान तो कर सकते हैं, लेकिन समस्या यह है कि वे किसी भी दिन बिना भोजन के नहीं रह सकते हैं. तब व्यास जी ने भीम से कहा कि तुम हर माह में केवल दो एकादशी व्रत रखो और अन्न न खाओ. उन्होंने कहा कि हे पितामह! वे भूख बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. यदि वर्ष भर में कोई एक व्रत हो तो उसके बारे में बताएं, वे उस व्रत को रख सकते हैं लेकिन हर माह दो व्रत रखना संभव नहीं है क्योंकि बिना भोजन के वे नहीं रह पाते. भीम ने वेद व्यास जी से कहा कि आप वर्ष में केवल एक बार ही रखे जाने वाले व्रत के बारे में बताएं, जिसको करने से स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए. व्यास जी ने कहा कि माह के दो एकादशी व्रत मोक्ष प्राप्ति के लिए रखते हैं. इस पर भीम ने कहा कि साल में एक बार उपवास रखकर मुक्ति पाने वाले व्रत के बारे में बताएं.

व्यास जी ने कहा कि निर्जला एकादशी के बारे में भगवान ने उनको बताया था. इस एकादशी व्रत का फल सभी तीर्थ और दान से भी अधिक है. इस व्रत से व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है और मृत्यु के बाद देवदूत उसे स्वर्ग लेकर जाते हैं. निर्जला एकादशी पर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें और गौ दान करें. बताई ​विधि के अनुसार ही भीम ने निर्जला एकादशी व्रत किया. इस वजह से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. निर्जला एकादशी व्रत कथा को पढ़ने और सुनने वाले भी स्वर्ग प्राप्त करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों ऐपर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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