Surya Grahan 2023 in India: पितृ अमावस्या वाले दिन यानी 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण भी पड़ रहा है, ऐसे में तर्पण और श्राद्ध करने वाले बहुत से लोगों के मन में संशय है कि सूर्य ग्रहण के पहले ही सूतक लग जाएगा तो ऐसे में श्राद्ध कर्म किया जाए अथवा नहीं. चलिए इससे संबंधित सभी दुविधाओं को दूर करते हुए समझते हैं.
सूर्यग्रहण को लेकर पहली बात तो यह स्पष्ट करनी है कि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जब यह ग्रहण भारत में दिखेगा ही नहीं तो इसका सूतक भी नहीं लागू होगा. यह सूर्य ग्रहण पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखेगा. भारत में सूतक न होने से पितृ अमावस्या पहले की तरह पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएं. किसी तरह के भ्रम में पड़ने की जरूरत नहीं है. आप जिस विधि से घर पर अथवा गंगा किनारे पितरों का श्राद्ध कर्म करते हैं, उसी के अनुसार करें. तर्पण और श्राद्ध करने के साथ ही उनकी पूजा अर्चना के बाद उनसे क्षमा याचना अवश्य ही करें और फिर स्वर्ग जाने का निवेदन करें. पितरों की याद में दीपदान और तर्पण करें.
पितरों के श्राद्ध से मिलता है आशीर्वाद
पितरों का श्राद्ध तर्पण और पूजन करने वाले मनुष्य के जीवन में पितरों के आशीर्वाद की कभी कमी नहीं रहती है. यह कर्म मनुष्य के जीवन में कृपा बरसाने वाला, सुख शांति, धन संपत्ति, तथा पुत्र पौत्र आदि देने वाला होता है. पितृ अमावस्या अर्थात 14 अक्टूबर को सुबह स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल देना चाहिए. माना जाता है कि इससे पितृ तृप्त होते हैं. पितृ विसर्जनी अमावस्या को ज्ञात अज्ञात सभी पितरों की याद की जाती है. जो लोग पितृपक्ष के 16 दिनों में किन्हीं कारणों से श्राद्ध तर्पण नहीं कर पाते हैं, उन्हें अमावस्या के दिन अवश्य ही करना चाहिए.