trendingNow11879785
Hindi News >>ऐस्ट्रो
Advertisement

Vastu Tips: इस दिशा में बनाएं घर में किचन, वास्तु दोष से मिलेगा छुटकारा

Vastu Tips for Kitchen in Hindi: मानव जीवन में वास्तु शास्त्र का बेहद महत्व है. घर में वास्तु के नियमों का पालन किया जाए तो इंसान लगातार तरक्की के रास्ते पर चढ़ते जाता है. वहीं, इन बातों पर ध्यान न देने से भयंकर वास्तु दोष का सामना करना पड़ता है.

वास्तु टिप्स
Stop
Chandra Shekhar Verma|Updated: Sep 20, 2023, 01:09 PM IST

Vastu for Kitchen: घर बनाते या खरीदते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना चाहिए. घर में बेडरूम यानी शयन कक्ष, बाथरूम और किचन यानी कि रसोई घर का अहम स्थान होता है. घर बनाते समय इन तीनों का सही दिशा में होना बेहद जरूरी है. आज के लेख में किचन को लेकर बात करेंगे. घर के आग्नेय कोण में ही रसोई घर होना चाहिए. वास्तु शास्त्रों में आग्नेय कोण यानी पूरब और दक्षिण के मध्य का स्थान अग्नि स्थान कहलाता है, इसलिए आग या अग्नि वाले जितने भी काम हैं, वह इस दिशा में ही होने चाहिए.  

आग्नेय कोण में प्राकृतिक अग्नि का वास है और अग्नि में निर्माण और विनाश दोनों की ही क्षमता होती है, इसलिए इस स्थान पर जब आग जलती है तब यहां का आग्नेय मंडल का प्रभाव बहुत बढ़ जाता है. यदि कुछ वर्षों तक इस स्थान पर अग्नि कर्म होता रहे तो स्वाभाविक ही है कि यहां का आग्नेय मण्डल ताप से भर जाएगा. जिन कार्यों के लिए अग्नि की जरूरत होती है उन्हें यहां पर किया जाता है.  

कुप्रभाव

आजकल दो मंजिला मकान में या बहुमंजली इमारतों और डुप्लैक्स फ्लैटों में अक्सर देखा गया है कि किसी का शयनकक्ष या ऑफिस या तो रसोई घर के ऊपर है या नीचे. वास्तु की दृष्टि में घर में अग्नि स्थापन रसोई में होता है और यह सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जहां पर कुछ वर्षों से रसोई पक रही हो, अग्नि जल रही हो, वहां पर निश्चित ही वातावरण अग्नि के प्रभाव में होगा. रसोई में अग्नि स्थापन जितना पुराना होता है, उतना ही अग्नि का प्रभाव बढ़ाता जाता है, इसका प्रभाव धीरे-धीरे ऊपर या नीचे की मंजिलों पर पड़ने लगता है और परिणाम यह होता है कि अगर इस रसोई के नीचे या ऊपर अपना शयनकक्ष या ऑफिस बना लें तो यह निश्चित है कि उसे इस आग्नेय मण्डल के कुप्रभाव झेलने ही पड़ेंगे.

सेहत

अक्सर देखा गया है कि अग्नि स्थापना के ऊपर सोना या ऑफिस इत्यादि बनाना अत्यंत कष्टकारी परिणाम देता है. इसका परिणाम सिर्फ यह है कि अग्नि स्थापना के नीचे या ऊपर अत्यंत विकसित अग्नि ऊर्जा का क्षेत्र प्रभावी होता है और अधिक समय तक इस क्षेत्र में निवास करने पर उच्च रक्तचाप, स्नायु दौर्बल्य, अकारण क्रोध, अनिद्रा, पारिवारिक क्लेश, मनमलीनता, निर्णय क्षमता में कमी, पित्त की अधिकता, कानूनी विवाद, धन हानि व्यावसायिक विवाद आदि दोष देखे जा सकते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Read More
{}{}