Shani Mangal Yuti: ज्योतिष में हर ग्रहों का एक अपना महत्व है. ग्रह नौ है और 12 भागों में बैठने पर उनके अलग-अलग परिणाम है. ग्रह यदि शुभ भाव में बैठ जाए तो व्यक्ति को धनवान और मान-सम्मान योग्य बनाते हैं तो वहीं यदि वह क्रूर ग्रह व नकारात्मक भाव में बैठ जाए तो वह व्यक्ति को राजा से रंक तक बना देते हैं. आज ऐसे दो ग्रहों के बारे में जानेंगे, जिन्हें मूल रूप से थोड़ा क्रोधी और क्रूर ग्रह माना जाता है. कुंडली में शनि और मंगल की युति यदि हो जाए तो व्यक्ति को उच्च पद और कर्मठ तो बनाती है, लेकिन वहीं उन्हें कुछ नकारात्मक प्रभाव का भी सामना करना पड़ता है.
पहला स्थान
कुंडली में यदि शनि और मंगल की युति लग्न में हो जाए तो ऐसा व्यक्ति स्वभाव से हर कार्य को ईमानदारी और समय पर पूर्ण करने वाला. सैद्धांतिक रूप से मजबूत. यदि कार्य में देरी हो जाए या फिर ठीक ढंग से न हो तो वह जल्दी क्रोधित हो जाते हैं और दूसरों के साथ चिड़चिड़ा व्यवहार करने लगते हैं. इन्हें आग और चोट लगने से खतरा रहता है.
दूसरा स्थान
इस स्थान में शनि-मंगल होने से निवेश संबंधित मामलों में बहुत ही सजग रहने की सलाह है. वाणी पर सदैव सौम्यता बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि यह दोनों का कॉम्बिनेशन आपको कटु वचन दे सकता है. रोगों में गले से संबंधित समस्या हो सकती है. जिन लोगों की आंखों में दिक्कत रहती है, वह इस ओर विशेष ध्यान दें. परिवार में कोई न कोई आपसे नाराज रहता है. धन संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए आपको छोटे-छोटे निवेश पर ध्यान देना चाहिए.
तीसरा स्थान
शनि मंगल का तीसरे स्थान में एक साथ होने से व्यक्ति के छोटे भाइयों से कुछ कम बनती है. अक्सर ऐसा भी देखा गया है कि यह अपने सामाजिक दायरे में तो अच्छे होते हैं, लेकिन जिनके सबोर्डिनेट होते हैं या जो भी इन के सानिध्य में रहते हैं, उनसे यह अधिक अपेक्षा के चलते नाराज हो जाते हैं. आपमें जिजीविषा अधिक होती है. कार्य को लेकर लोगों से वाहवाही लूटते हैं. कंधों में दर्द, सर्वाइकल की समस्या रहने की आशंका होती है.
चौथा स्थान
कुंडली में चौथे भाव पर शनि और मंगल, मंगल का एक साथ होने से तात्पर्य है कि मां से कुछ दूरियां रहती हैं या यूं कहें उनके वचन आपको नहीं भाते हैं. मां को भी बीपी, हड्डियों व जोड़ों से संबंधित रोग हो सकते हैं. नौकरी के प्रति यह लोग बहुत ईमानदार होते हैं. इनकी मैनेजमेंट कला सफलता के द्वार खोलती है. नौकरी और पढ़ाई से संबंधित ऐसे लोग अक्सर अन्य शहर में ही रहते हैं. भूमि, मकान का सुख मिलता है. पैतृक संबंधित प्रॉपर्टी आदि में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. घर में बिजली से संबंधित दिक्कत देखने को मिल सकती है. जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान जल्दी खराब हो जाए या फिर वायरिंग आदि में शॉर्ट सर्किट होते रहें.