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MahaShivratri 2023: महाशिवरात्रि पर बना बढ़िया संयोग, कर लें ये उपाय, शनि की पीड़ा से हो सकता है बचाव

Shani Dev: इस महाशिवरात्रि पर शनि देव की पूजा का खास संयोग बन रहा है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस बार 18 फरवरी को यह तिथि है. वहीं इस दिन शनि त्रयोदशी तिथी यानी शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है. शिवरात्री और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शिव का काफी प्रिय है.

MahaShivratri 2023: महाशिवरात्रि पर बना बढ़िया संयोग, कर लें ये उपाय, शनि की पीड़ा से हो सकता है बचाव
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Himanshu Kothari|Updated: Feb 15, 2023, 10:48 AM IST

Mahashivratri: महाशिवरात्रि का पर्व लोग काफी उत्साह के साथ मनाते हैं. महाशिवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान शिव के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है. यह पर्व व्रत, पूजा और भगवान शिव की भक्ति करके मनाया जाता है. शिवरात्रि पर व्रत करना अत्यंत शुभ माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान शिव आशीर्वाद और मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. वहीं इस बार काफी खास संयोग भी बन रहा है.

महाशिवरात्रि
दरअसल, इस महाशिवरात्रि पर शनि देव की पूजा का खास संयोग बन रहा है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस बार 18 फरवरी को यह तिथि है. वहीं इस दिन शनि त्रयोदशी तिथी यानी शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है. शिवरात्री और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शिव का काफी प्रिय है. इसके अलावा महाशिवरात्रि के मौके पर शनि देन अपनी राशि कुंभ में ही विराजमान होंगे. इन संयोग में अगर शनि देव की पूजा की जाए तो धन, समृद्धि और संपन्नता हासिल होती है.

शनि देव
इसके अलावा भगवान शिव को शनि देव का गुरु भी माना जाता है. इन संयोग में शनि की पूजा करने से शनि दोष को भी दूर किया जा सकता है. इसके अलावा महाशिवरात्रि पर शिवलंग पर शमी पत्र चढ़ाने से शनि देव प्रसन्न होंगे. साथ ही 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. ऐसी मान्यता है इससे शनि की महादशा, साढ़े साती और ढैय्या से बचाव हो सकता है.

महाशिवरात्रि कथा

महाशिवरात्रि का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित है और कई किंवदंतियों के साथ जुड़ा हुआ है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, यह कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवताओं और राक्षसों के जरिए समुद्र मंथन के दौरान विष पीकर दुनिया को अंधकार और अज्ञान से बचाया था. इस घटना को मनाने और बुराई पर भगवान शिव की जीत का सम्मान करने के लिए यह दिन मनाया जाता है.

शिव-पार्वती
महाशिवरात्रि से जुड़ी एक अन्य कथा भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन की कहानी भी है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था और उनका मिलन सार्वभौमिक आत्म (परमात्मा) के साथ व्यक्तिगत आत्म (जीवात्मा) के मिलन का प्रतिनिधित्व करता है.

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