Rahu Ketu Remedies: शिवरात्रि में शिवजी की पूजा का विशेष महत्व होता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी अर्थात 18 फरवरी शनिवार को होने वाले इस पर्व के दिन समस्त वातावरण स्वयं सिद्धमय हो जाता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव इस संसार के सभी शिवलिंगों में विराजते हैं और सभी शिवलिंग जागृत हो जाते हैं. ईशान संहिता में भी लिखा है कि शिवजी को यह दिन सबसे अधिक प्रिय है, यही शिव और मां पार्वती के मिलन की तिथि है.
राहु और केतु ग्रह से पीड़ित लोगों को इस पवित्र अवसर का लाभ उठाना चाहिए. शिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि में राहु से पीड़ित लोगों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. भोले शंकर को सच्चे मन से याद करते हुए जाप करने से इन दोनों ग्रहों का कष्टकारी प्रकोप शांत होता है और भक्त को राहत महसूस होती है. जिन लोगों को मानसिक पीड़ा है और मन में स्थिरता नहीं आ पा रही है, उन्हें शिव का अभिषेक करना चाहिए. संभव हो तो रात्रि में जागकर शिव का ध्यान लगाने से सभी दुखों का नाश होता है.
इससे आत्मशांति मिलती है और लाभ प्राप्त होता है. सामान्य जनों को भी इस दिन शिव चालीसा, शिव सहस्त्रनाम, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से शिवजी उन पर कृपा करते हुए सभी प्रकार के दुखों से मुक्त कर सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य प्रदान करते हैं. यदि यह सब भी न संभव हो तो पंचाक्षर मंत्र “ऊं नमः शिवाय” का कम से कम एक माला जाप तो करना ही चाहिए. रुद्राक्ष की माला से जाप करना श्रेष्ठ रहता है. पूजन करने के बाद दूध से बनी मिठाई का भोग लगाकर परिवार के सभी लोगों के साथ मिलकर भोले शंकर की आरती करनी चाहिए.