Jyeshtha Nakshatra: ज्येष्ठा नक्षत्र का अर्थ है ज्येष्ठ अर्थात सबसे बड़ा. इस नक्षत्र के नाम पर ही हिंदी महीने का नाम ज्येष्ठ पड़ा है. तीन तारों से बनी आकृति को दैवीय शक्ति का रक्षा कवच माना जाता है. कुछ विद्वानों ने इसे आदिशक्ति या मां दुर्गा के कान का झुमका माना है. यह नक्षत्र संसार में फैली शक्तियों के नियंत्रण का प्रतीक है. इसे इसको छतरी के रूप में भी दर्शाया गया है, जो धूप और बारिश से छाया देती है. ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता देवराज इंद्र हैं. यह नक्षत्र वृश्चिक राशि में पड़ता है, इसलिए जिन लोगों की वृश्चिक राशि है उनका ज्येष्ठा नक्षत्र हो सकता है.
ज्येष्ठा नक्षत्र वाले व्यक्तियों को अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन से नहीं करनी चाहिए. यदि ऐसा करेंगे तो मन में ईर्ष्या की भावना उत्पन्न हो सकती है. हर व्यक्ति को प्रारब्ध के अनुसार ही चीजें प्राप्त होती हैं, इसलिए कंपैरिजन करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इन लोगों का यदि काम न बने या बहुत मन मुताबिक घटना न घटे तो मन खिन्न हो जाता है. विषम परिस्थितियों में भी धैर्य का परिचय देते हुए प्रसन्नचित्त रहना चाहिए. इनको क्रोध जब आता है तो यह बहुत ज्यादा बोल नहीं पाते हैं या यूं कहें कि नाराज होकर कोप भवन में चले जाते हैं, इसलिए इन लोगों को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए, नहीं तो रोगग्रस्त हो जाएंगे.
उपाय
ज्येष्ठा नक्षत्र वालों की वनस्पति है चीड़. चीड़ का वृक्ष बहुत ऊंचा होता है. चीड़ के पेड़ से गोंद निकलता है, जिसे श्रीवास या गंधविरोजा कहते हैं. इसके वृक्ष से तारपीन का तेल भी निकाला जाता है. इसका फूल और फल मार्च से नवंबर तक होता है. चीड़ का वृक्ष औषधि में बहुत काम आता है. इस नक्षत्र के लोगों को चीड़ के पेड़ का रोपण और संरक्षण करना चाहिए. चीड़ वनस्पति की उपासना, सम्मान, संरक्षण, संवर्धन से नक्षत्र का शुभ फल प्राप्त कर पाएंगे.