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Agriculture News: किसानों की बढ़ेगी कमाई, अब आ गई स्पेशल सोयाबीन, मटर को भी देगी टक्कर

Farmers Earning News: अब मटर को टक्कर देने के लिए एक खास किस्म की सोयाबीन (soybean) आ गई है. इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने करीब सात साल के रिसर्च के बाद सोयाबीन की ऐसी खास किस्म तैयार की है. 

Agriculture News: किसानों की बढ़ेगी कमाई, अब आ गई स्पेशल सोयाबीन, मटर को भी देगी टक्कर
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Shivani Sharma|Updated: Feb 23, 2024, 07:37 PM IST

Agriculture News: इस समय एग्रीकल्चर सेक्टर (Agriculture Sector) में कई खास किस्म की खेती की जा रही है. अब मटर को टक्कर देने के लिए एक खास किस्म की सोयाबीन (soybean) आ गई है. इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने करीब सात साल के रिसर्च के बाद सोयाबीन की ऐसी खास किस्म तैयार की है, जिसे हरी मटर के दानों की तरह सब्जी के तौर पर खाया जा सकता है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रोटीन से भरपूर यह किस्म देश में कुपोषण घटाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है.

रिसर्च में शामिल रहे ये 2 लोग

NRC-188 नाम की इस किस्म को डेवलप करने वाले दो लोग रिसर्च टीम में शामिल है.इसमें वैज्ञानिक डॉ. विनीत कुमार ने शुक्रवार को बताया कि सोयाबीन की इस किस्म की हरी फली के दानों में सुक्रोज होने से इसमें थोड़ी मिठास होती है. यह खूबी सोयाबीन की अन्य किस्मों में नहीं पाई जाती. 

किस तरह से किया जा सकता है इस्तेमाल?

उन्होंने बताया कि एनआरसी -188 किस्म की हरी फली के दानों को नमक के पानी में उबालकर सब्जी की तरह इसका उपयोग किया जा सकता है. कुमार के मुताबिक, हरी मटर की तुलना में सोयाबीन की इस किस्म के दानों में तीन से चार गुना ज्यादा प्रोटीन होता है. 

किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई

उन्होंने बताया है कि एनआरसी-188 की फलियों को सब्जी की तरह बेचकर सोयाबीन उत्पादक किसान मोटी कमाई कर सकते हैं. इसके अलावा इसकी फलियों के दानों को उचित पैकेजिंग के साथ फ्रिज में जमाकर निर्यात भी किया जा सकता है. कुमार ने बताया कि मध्य भारत में खरीफ सत्र के दौरान ‘‘एनआरसी 188’’ की खेती की सिफारिश की गई है.

किस साइज के होते हैं दानें?

IISR में इस किस्म के विकास से जुड़ी एक अन्य प्रधान वैज्ञानिक डॉ अनीता रानी ने बताया कि एनआरसी-188 के दानों का आकार सोयाबीन की अन्य किस्मों से बड़ा और नरम होता है.

उन्होंने बताया है कि खेतों में इस किस्म के बीजों का अंकुरण भी सोयाबीन की अन्य किस्मों से बेहतर है. इसकी खेती में एक हेक्टेयर में सात से आठ टन हरी फली पैदा होती है. अनीता रानी ने बताया कि एनआरसी 188 को इस तरह विकसित किया गया है कि खेती के दौरान यह किस्म कीटों के प्रकोप और पौधों के सामान्य रोगों से मुक्त रहे.

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