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कम बारिश का कहर, झारखंड में धान की खेती वाले 86 प्रतिशत खेत बंजर पड़े

झारखंड सरकार ने 2023 में 17 जिलों के 158 ब्लॉकों को सूखाग्रस्त घोषित किया था, जबकि 2022 में यह संख्या 226 थी. राज्य कृषि विभाग की बुवाई रिपोर्ट के अनुसार 26 जुलाई तक 18 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 2.43 लाख हेक्टेयर में धान की फसल बोई गई थी.

कम बारिश का कहर, झारखंड में धान की खेती वाले 86 प्रतिशत खेत बंजर पड़े
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Kriyanshu Saraswat|Updated: Jul 27, 2024, 03:34 PM IST

Paddy Fields in jharkhand: झारखंड में धान की खेती वाले करीब 86 प्रतिशत खेत कम बारिश के कारण अभी भी बंजर पड़े हैं. अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी. कृषि जानकारों के अनुसार 24 में से चार जिलों में अभी तक धान की बुआई शुरू नहीं हुई है, जबकि बुआई का प्रमुख समय अगले सप्ताह समाप्त हो रहा है. अधिकारियों ने बताया कि 26 जुलाई तक झारखंड में 47 प्रतिशत बारिश कम हुई है. इस स्थिति को लेकर किसान चिंतित हैं और उनका अनुमान है कि राज्य में लगातार तीसरी बार सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

17 जिलों के 158 ब्लॉकों को सूखाग्रस्त घोषित किया था

राज्य सरकार ने 2023 में 17 जिलों के 158 ब्लॉकों को सूखाग्रस्त घोषित किया था, जबकि 2022 में यह संख्या 226 थी. राज्य कृषि विभाग की बुवाई रिपोर्ट के अनुसार 26 जुलाई तक 18 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 2.43 लाख हेक्टेयर में धान की फसल बोई गई थी. इसका मतलब है कि कृषि योग्य भूमि का सिर्फ 13.53 फीसदी हिस्सा ही बोया गया है. पलामू, लातेहार, चतरा और देवघर जिलों में धान की बुवाई शुरू नहीं हो सकी है. धान के अलावा मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज सहित अन्य खरीफ फसलों की स्थिति भी अलग नहीं है.

5.59 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई
खरीफ फसलों की बुवाई 26 जुलाई तक 28.27 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 5.59 लाख हेक्टेयर में हुई है. यानी कृषि योग्य भूमि का सिर्फ 19.77 फीसदी हिस्सा ही बोया गया है. झारखंड में बारिश की कमी से चिंतित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 19 जुलाई को अधिकारियों को कृषि पर इसके प्रभाव पर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया, ताकि सहायता के लिए इसे केंद्र के समक्ष रखा जा सके. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की आदर्श बुवाई अवधि एक जुलाई से 20 जुलाई या अधिकतम 30 जुलाई (स्थानों के अनुसार) है.

बारिश के साथ बुवाई का पैटर्न भी बदल रहा
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), रांची के अनुसंधान निदेशक पीके सिंह बताया, 'बारिश के रुझान बदल रहे हैं और साथ ही बुवाई का पैटर्न भी बदल रहा है. अगर हम पिछले पांच वर्षों के बारिश के रुझानों का अध्ययन करें, तो हम कह सकते हैं कि स्थिति अभी भी चिंताजनक नहीं है. हमें आठ से दस दिन और इंतजार करना चाहिए. पिछली रात हुई बारिश ने किसानों को काफी राहत दी है.'

चावल की सीधी बुवाई करने का सुझाव दिया
सिंह ने किसानों को मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए चावल की सीधी बुवाई करने का सुझाव दिया. रांची मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने बताया, 'पिछले एक सप्ताह से झारखंड में अच्छी बारिश हो रही है और हमें उम्मीद है कि यह अगले सप्ताह भी जारी रहेगी. झारखंड में अगस्त और सितंबर में भी अच्छी बारिश होने की संभावना है.' कृषि विभाग के उप निदेशक मुकेश सिन्हा ने कहा, 'किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 15 अगस्त तक इंतजार करना होगा. यहां के किसान अगस्त के मध्य तक धान की बुवाई करते हैं.' (इनपुट भाषा से भी)

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